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Indian Poetry By Mohammad Arif
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September 21, 2019
[इस्लाम] नायाब है उसकी रौश़नी कभी ना ख़त्म होने वाली है
पुरनूरे असरार हूँ मै जलता रहूंगा अपनो की रगो में आरिफ़ यूंही चलता रहूंगा
हमें ना मिटाने की कोशिश़ करो तुम मैं हीरा हूँ नायाब हीरा हमेश़ा चमकता रहूंगा
आरिफ़ मोहम्मद इब्राहिम,इलाहाबादी
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