(मोहब्बत़ से सारे जहां को जीत सकते थे मगर नफ़रत अद़ावत से तुम कहीं के नहीं रहे)

कश्मीर में मासूम ज़िन्दगी के ठेकेदार बैठे हैं कुछ इस तरह से तांक़ में भारत के बहादुर जवानों के क़त्ल के ज़िम्मेदार बैठे हैं दुश्मनी के फ़िराक़ में वो सोंचते है के ज़ुल्म के हथियारों की बुनियाद से बना लेंगे हम अपना वत़न ये भारत अब कोई खिलौंना नहीं जो टूट जाएगा आसानी से हंसी और मज़ाक में आरिफ़ मोहम्मद इब्राहिम,इलाहाबादी

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