(मेरा मुल्क़ मेरी मोहब्बत़ है )

हम ये सोच कर रहे गये वत़न की मोहब्बतों चाहत़ मे
के बच जाऐ सक़ाफ़ते हिन्दोस्तां मोहब्बत़ भाई चारे का

इसीलिए मुझे अपना वत़न रहा प्यारा त़माम तर के रिश्त़ो से जिन्हें शिक़ायत़ थी वो कबके त़ारकीने वत़न निकले

✒मोहम्मद आरिफ़  इलाहाबादी

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