(यक़ीनी ईमान इनसांनित मोहब्बत़ और तक़्दीर पर)
ज़ाहिरी मुत़्तहिद होने से भी कोई फायदा नही किसी का आरिफ़ इस जहांन मे जब तक दिल मे मोहब्बत़ इनसांनियत और जोशे़ ईमानी नही
मोहब्बत़ इनसांनियत की मेहनत से तक़्दीर को यक़ीन जानो क्योंकि झुंड मे मुत़्तहिद बकरियों को भी भेड़िये तितर बितर कर देते है
मर्दे़ मोजाहिद़ के लिए हथियारे ईमां चाहिये कट सके ना जो किसी ख़जंर से एैसी जुर्रत़ चाहिये
देख कर जुर्रत़ हमारी दुश्मन भी हो जाएगें ऐक दिन बेक़रार फ़िर कहेंगें के हमे एैसी हुक़ूमत चाहिये
✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी
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