(माँ की ममता और उसकी मोहब्बत़)

तक़दीर से पहले उम्मीद़ से ज़्यादा किसी को कुछ नही मिलता आरिफ़ जहांन मे

बस माँ की दोआऐं ही है जो आसमान से चांद त़ारे भी निछावर हो जाते है ज़मीन पर

✍मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी 

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