बलवान वक़्त गुज़रती यादें
ज़िंदगी भर की मेहनत से ये उम्मीद रही आरिफ़ के ज़िंदगी गुज़ारेंगे बेहतर एक दिन, लेकिन हाए रे मेरी उम्मीद के ना उम्मीद रह…
ज़िंदगी भर की मेहनत से ये उम्मीद रही आरिफ़ के ज़िंदगी गुज़ारेंगे बेहतर एक दिन, लेकिन हाए रे मेरी उम्मीद के ना उम्मीद रह…
दिलों के घावों को कोई भी नहीं देखता आरिफ़ चेहरे से तो सभी ख़ुशहाल दिखतें है, समंदर की ख़ामोश़ी भी ऊपर से सबको पता है मग…
सहाफ़त जब सेयासी हुक्मरानों की ग़ुलाम हो जाए वत़न का हर अमीर जब ज़ालिमों और मक्कार हो जाए तो समझ लेना अवाम का मुस्तक…
मुझे बचपन के वो गुज़रे ज़माने याद आतें है,वो नन्हें हाथों के ऐक आशियाने याद आतें है पुराने दिन की बातें थी साथी दुलारे …
हिम्मत़े मर्दी का हम अपने दिल में एहसास रखते हैं, क़ब्ज़े में भी दुश्मनों से आंख मिला कर बात करते हैं मौंत़ो हय़ात…
जो दरिया चलती है अपने ग़ुरुरो अना के जोश़े जवानी में वो खो देती है अपना नामों निश़ा मिलकर समंदर के पानी में आरिफ़ मोहम…
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद या अबुल कलाम गुलाम मुहियुद्दीन ( 11 नवंबर , 1888 को सऊदी अरब के शहेर मक्का शरीफ़ में पैदा ह…
कश्मीर में मासूम ज़िन्दगी के ठेकेदार बैठे हैं कुछ इस तरह से तांक़ में भारत के बहादुर जवानों के क़त्ल के ज़िम्मेदार ब…
ये कैसा कोह़राम मचा है ज़लालत का ज़माने में हर कोई लगा है हर किसी को आज़माने में आरिफ़ हमसब अपना गिरेबांन देखले पहले ज…
क़राबत का तरीक़ा दुश़्मनों ने हमसे सीखा है जहां भर में, हम अपनी सूरत से नहीं सीरत से पहचाने जाते हैं 🇮…
मां की ममता का हक़ अद़ा बेश़क़ इस जहांन में किसी औलाद़ से क्या होगा जन्नत है जिसके क़दमों तले दुनिया में मह़श़र में उ…
मै अपना ग़ुज़रा हुआ वो बचपना कभी जब याद करता हूँ, नमीं आँखों मे होती है तो चेहरे पे मुस्कान लाता हूँ कभी ज़िद मे माँ…
मोहब्बत़ है गर वत़न से हमको भी समझो वत़ने अज़ीज़ अपना औरो तरह हमने भी अपने वत़न के ख़ातिर है अपना ख़ूँ बहाया …
हमे ये फख़्र है हमारी ज़ुबान उर्द़ू है मोहब्बत़ के इस प्यारे वत़न मे मोख़्तलिफ़ ज़ुबानों के जैसी प्यारी ज़ुबान उर्द़ू ह…
ये मेरा मुल्क़़ है ऐक बांग़बाँ है के जिसमे हर क़िस्म के फ़ूल और कली है वत़न की मुख़्तलिफ़ प्यारी ज़ुबाँ इसी से दिल ज…
हमारी श़ान है भारत हमारी जान है भारत हम है भारत से हमारी पहचान है भारत मुस्लिम है हम हमे ये फख़्र है अजल से, दुनिया…
दिल टूटा ज़ुंबा ज़ख़्मी नज़र कमज़ोर मुझको उनपर तर्स आती है के फिक़्र मे कोई माँ अपने किसी बच्चे की जब आंसू बहाती है …
दिल जो टूटा मोहब्बत़ इश्क़ मे तो समझो वफ़ा का माद्द़ा टूटा दग़ा बाज़ो की फ़ितरत को समझने का ये अच्छा सलीक़ा है …
गांव नगर बस्ती श़हेरो की मस्जिदें ख़ाली रहती है हमेंश़ा नमांज़ियो से तो श़ायद रह जायेंगे ज़रा सोचों नमाज़ी हो ना हो न…
ये कैसा सित़म है के ख़फा भी हमी से वफ़ा भी हमी से मेरा प्यार तुमसे तुम्हारा हमी से ये सांसे सलामत है जब तक जहां मे चल…