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कविता जज़्बातों की क़लम से
कल की फिक्र नहीं है जिनको वो हमको धमकातें हैं और आज किया तो कल को भरोगे कर्म यही बतलातें हैं जो दुनिया में आया है प्य…
कल की फिक्र नहीं है जिनको वो हमको धमकातें हैं और आज किया तो कल को भरोगे कर्म यही बतलातें हैं जो दुनिया में आया है प्य…
पहचान मेरी मोहताज नहीं बस नाम ही काफ़ी है अपना' भारत का रहने वाला हूँ पहचान ये काफ़ी है अपना हर मुल्क में अपनी शोहर…
मत पूछिए हमसे के मेरा दीन कैसा है मेरा ये धर्म मज़हब भी मेरे ईमान जैसा है सदाक़त का सलीक़ा हमसे है सीखा ज़माने ने …
दिया है मुल्क़ को जिसने लहु अपनी श़हाद़त से जहां में आज़ादी सर बुलंदी का हमें एहसास देता है वत़न के वास्ते सर कट गया ले…