ज़ालिम और मज़लूम

Hindi Urdu Poetry Stories
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हमारी ख़ामोंशियों को अपना हथियार ना बनाओ ज़ालिम , जो ये बोल पड़ेगा तो तुम्हारे हथियार भी टूट जाएंगे


ज़ालिम जब भी ज़ुल्म करता तो ये अक्सर भूल जाता है, के ख़ोदा की सल्तनत में वो कभी बख़्शा ना जाएगा


उजाड़ कर चमन परिंदो का बने बागबान फिरते हो,

बड़े नादान हो ये झूठी शोहरत लिए हज़ार फिरते हो


जला कर रख दिया तुमने हमारे आश़ियाने को,

हमें बर्बाद कर के तुम बहोत मासूम दिखते हो

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