दुख और दर्द की छाँव में
वो वक़्त ज़माना था 1947 का जब मेरा प्यारा भारत अंग्रेज़ी हुक्मरानों से आज़ाद होकर एक अलग ही पहचान बनाने जा रहा था। तो वही एक और ग़म हर उन भारतीयों के साथ था जो सरहद पार करके भारत आ रहे थे अपने पुश्तैनी घर आबाई ज़मीनों मकान को छोड़ कर।
और जबकि वही एक एसा भी तबक़ा था जो भारत छोड़ कर उस नए मुल्क, उस देश की तरफ़ जा रहा था जो के मुसलमानों के नाम पर बनाया गया था जिसकी बुनियाद ही इस्लाम के नाम पर रखी गई थी नाम जिसका पाकिस्तान है।
और इन्होने भी वही कुछ छोड़ा जो उन्होंने वहाँ छोड़ा था। लेकिन भारत को छोड़ कर जाने वाले उन आज के पाकिस्तानयों से ज़्यादा मुसलमान भारत को ही अपने बाप दादा का आबाई वत़न मानते थे और आज भी मानते है और आगे भी मानते रहेंगे।
अगर देश छोड़कर जाने वाले उन लोगों को अपने वत़न देश से प्यार मोहब्बत होती तो वो पाकिस्तान के क़ायद, (संस्थापक) के साथ कभी ना होते क्योंकि उनकी सोंच उनके नज़रिए में और भारतीय मुसलमानों के सोंच नज़रिए में ज़मीनों आसमान का फ़र्क़ था भारत का मुसलमान कल भी फ़ख्र से अपने को भारतीय कहते थे और आज भी कहते हैं भारतीय मुसलमानों का मानना था कि हम (हिंदू,मुसलमान,सिख,ईसाई) सारे मिलकर इकठ्ठा प्यार मोहब्बत से इस आज़ाद भारत में रहेंगे जैसे सदियों से रहते आए है।
और जबकि वही भारत में कुछ हिंदू संगठन ये नही चाह रहे थे कि भारत में कोई एक भी मुसलमान रुके या यहाँ रहे वो सबको नये देश पाकिस्तान भेज देना चाहते थे क्योंकि उनके हिसाब से भारत हिंदुओ का और पाकिस्तान मुसलमानों का देश (वत़न) रहना चाहिए।
लेकिन हमारे भारत के न्याय प्रिय महापुरुषों ने भारत की एकता अखण्डता का ख़्याल रखते हुए सबको एक समान भारतीय होने का अधिकार और बराबरी का सबको सम्मान दिया भारतीय सविंधान के द्वारा और आज भी मै उन महापुरुषों को नमन करता हूँ जिन्होंने भारत की आज़ादी के साथ साथ नए भारत को नया सांविधानिक अधिकार दिया।
जहाँ एक तरफ (वर्तमान पाकिस्तान) से मजबूरी में छोड़ कर आने वालों ने अपना बहोत कुछ खो दिया था अपने पुरखों की ज़मीनों मकान छोड़ कर बेबस बे सहारा अपना गाँव और बहोत से लोगों की जानें गई भी गई और परिवार भी बिखर गया दिलों में बेचैनी आंखों में आंसुओ का समंदर और चेहरे पर मायूसी के बादल लिए सरहदें पर करके भारत आ रहे थे।
तो वही इतनी बड़ी क़ुर्बानी भारत के मुसलमानों ने दी के जब ख़ानदान रिश्तेदारों नातेंदारों और अपने घर के लोग भारत छोड़ कर जा रहें थे, तो ये बातें उनकी ज़ुबान पर थी, ये भारत अब हमारा नही रहा हम मुसलमानों के लिए पाकिस्तान ही हमारा वत़न है और जिसके लिए तुम यहाँ रूक रहे हो अपनी जान ख़तरे में डाल रहे हो कल यही लोग तुम्हारी जान माल, इज़्ज़त, आबरू, के दुश्मन हो जाएँगे और तुमको कभी अपना हमदर्द नही समझेंगे और नाही भारतीय होने का एजाज़ मिलेगा कभी तुम्हें, होश में आओ और अक़्लमद बनो अकेले रह जाओगे कोई काम नही आएगा साथ चलोगे तो फायदे मे रहोगे नया मुल्क होगा अपने लोग होंगे।
लेकिन हमारे पूर्वजों ने अपने उन रिश्तों और नातों को छोड़ना गवांरा समझा लेकिन अपने प्यारे वत़न भारत को छोड़ना नही क्योंकि उनका मानना था कि हम फरार की ज़िंदगी नहीं काट सकते ये मुल्क हमारा भी उतना ही है जितना दूसरे धर्म के लोगों का है।
यहाँ हमारी बाप दादा अस्लाफ़ो बुज़ुर्गो की क़ब्रे है ये लाल क़िला, ये ताजमहल, जामा मस्जिद,और ये तमाम मस्जिदों की मीनारें चीख़ चीख़ कर पुकार रही है मत जाओ भारत को छोड़ कर।
और शायद यही वजह थी कि हमारे पूर्वजों ने अपने भारत को अपनी जान से ज़्यादा अज़ीज प्यारा रखा उन रिश्तों के सामने जो ख़ून के सगे रिश्तें थे कभी।
और हमारे अपने सगे ताने मारते हुए हमको नये देश की तरफ़ चल दिए ये कहते हुए के अब हमारा मुस्तक़बिल अब नया वत़न पाकिस्तान है, और तुम्हारा कोई पुरसाने हाल ना होगा कभी भारत में और सारी ज़िंदगी सिर्फ़ अपनी वफ़ादारी साबित करते करते मर जाओगे लेकिन फिर भी तुमको हमेशा शक़ की निगाह से देखा जाएगा।
और यही बात शायद उनकी सच साबित होती नज़र आ रही है जो वो देश के बंटवारे के वक़्त कह कर गए थे हमसे।
क्योंकि हमारे पास उस वक़्त अख़्तेयार था के हम मुसलमान या भारत या पाकिस्तान जहाँ जाना चाहे रहना चाहें जा सकते रह सकतें हैं और ये अख़्तेयार सिर्फ़ और सिर्फ़ मुसलमानों को था किसी और को नही और हमने अपने पूर्वजों बाप दादा अस्लाफ़ो की ही ज़मीन को अपनी ख़ाक़े जस्दी (जिस्म की मिट्टी) समझी और यही रह गए।
और आज अजांम देखें क्या हो रहा है मुसलमानों के साथ मुसलमानों के नरसंहार की धमकी दी जा रही है हर जगह मुसलमानों को क़त्ल करने की धमकी दी जा रही है मुसलमानों के ही घर पर सिर्फ़ बुल्डोज़र चलाए जा रहे हैं माँ बहनों के साथ बलात्कार करने की धमकी दी जा रही है भीड़ लगाकर गऊ रक्षा के नाम पर मुसलमानों का क़त्लेआम हो रहा।
रेलवे स्टेशन, बस स्टैंड, बाज़ार, एयरपोर्ट, से लेकर मरीन पोर्ट तक मुसलमान नफ़रत का शिकार बन रहें हैं हर जगह शक़ की निगाह से देखा जा रहा है तो ये बातें कैसे ना कहूँ के पुराने बुज़ुर्गो की बाते सच होती नज़र आ रही है जो उन्होंने बंटवारे के वक़्त कहीं थी।
क्योंकि अब यहाँ पर हम ग़लत होते नज़र आ रहै है और इसको सभंव बनाया है कुछ हिंदू संगठनों ने सरकारों के साथ मिलकर के इन दहशतगर्दों को सरकारों की पूरी शह और पूरी मदद मिली हुई है पूरी छूट कै साथ जिसका सबूत हर रोज़ कुछ ना कुछ देखने को मिलता है मुसलमानों के ख़िलाफ़
और यही वजह है कि भारत का माहौल मुसलमानों के ख़िलाफ़ बना दिया गया है असामाजिक तत्वों जैसे नेताओं के द्वारा जो हर जगह हर वक़्त मुसलमानों को बुरा भला कहते रहतें हैं इस पर भारत सरकार को सख़्त से सख़्त क़दम उठाने की ज़रूरत है वर्ना ये आग पूरे भारत में लग जाएगी और जिसकी ज़िम्मेदार भी सरकार ही होगी अभी भी वक़्त है सरकार को इस पर नज़र रखना चाहिए
🇮🇳जय हिंद जय भारत❤
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