कविता जज़्बातों की क़लम से

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कल की फिक्र नहीं है जिनको वो हमको धमकातें हैं

और आज किया तो कल को भरोगे कर्म यही बतलातें हैं


जो दुनिया में आया है प्यारे एक ना एक दिन जाएगा

क्या है करनी क्या किया है तूने सब कुछ पूछा जाएगा


फिर ना काम आएगा कोई तेरे अच्छे कर्म काम आएंगे

नफ़रत दुश्मन पाप अदावत वाले नर्क में डालें जाएंगे


दिल को स़ाफ रखो तुम हर दम रहेम दिली से काम लो

और झूठ मकर धोख़ेबाज़ी से दिल को तुम आराम दो


काम यही आएगा दुनिया में भी दुनिया से जाने के बाद

संभल जाओ और रोको ख़ुद को क्या हो पछताने के बाद


दीन धर्म मज़हब का चोला ओढ़ निकल पड़े हो लड़ने को

भविष्य की फिक्र नहीं है आरिफ़ चले हो धर्म युद्ध तुम करने को




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