बलवान वक़्त गुज़रती यादें

Hindi Urdu Poetry Stories
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ज़िंदगी भर की मेहनत से ये उम्मीद रही आरिफ़ के ज़िंदगी गुज़ारेंगे बेहतर एक दिन,


लेकिन हाए रे मेरी उम्मीद के ना उम्मीद रही और ना ही वक़्ते ज़िदगी मयस्सर हुई हमको


सुहाने वक़्त के लम्हें जो गुज़रा है कहीं मिल जाए फिर हमको,

कसम आरिफ़ जिस्म से बांध लेंगे हम उतर कर रूह में अपने


बात तो क़िरदार की होती है हुज़ूर

वर्ना क़द में तो साया भी इनसान से बड़ा होता है



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