(इनसांनियत से मोहब्बत़)

मज़लूमों बेकसों को ज़ालिमों के चंगुल से आज़ादी दिलाना दोस्तों किसी जेहाद़ से कम नही

एैसे ही मर्दे़ मुजाहिद़ को हक़ीक़त मे आरिफ़ इस्लाम की श़मश़ीर कहते है

✍मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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