(मोहिब्ब़े वत़न...देश़ प्रेमी)

हम मोहिब्ब़े वत़न है हमे गद्द़ार ना समझो
हम जंगे आज़ादी के वो फ़ूल है हमे तुम ख़ार ना समझो

छोड़ा दी है पसीने हमने जिन गोरो की जंगे आज़ादी मे
हम वही मर्दे मोजाहिद़ है हमे बेकार ना समझो


     ✒ मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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