[रब पर भरोसा और ख़ुद पर ऐतेमाद़ी दौरे ज़ुल्मत में]

मुझे टूट कर यूंही
बिखर जाने जान दो  

ज़िंदगी को मेरी
त़ार-त़ार बन जाने दो

मै ख़ुद ही निपट लूंगा
अपने हालात से आरिफ़

बस गर्दिश़े तूफ़ानों को
 ज़रा ग़ुज़र जाने दो


आरिफ़ मोहम्मद इब्राहिम,इलाहाबादी

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