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Indian Poetry By Mohammad Arif
Indian Poetry By Mohammad Arif
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May 21, 2019
[मिट्टी के जिस्म में आग के श़ोले]
श़बनंम के हर क़तरों पर फ़ूलों को मचलते देखा हमने
समंदर के आग़ोश मे दरियाओ को सिमटते देखा हमने
हैरत है यहां इनसांन तो बना है मिट्टी का फ़िर भी आरिफ़
इन्सानियत को इनसांनों के हाथों जलते देखा हमने
आरिफ़ मोहम्मद इब्राहिम, इलाहाबादी
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