[सहाफ़त, पत्रकारिता की सेयासी, राजनीति ग़ुलामी जनता की मुस्तक़बिल,भविष्य की तबाही बनती है]

सहाफ़त जब सेयासी हुक्मरानों की ग़ुलाम हो जाए
वत़न का हर अमीर जब ज़ालिमों और मक्कार हो जाए

तो समझ लेना अवाम का मुस्तक़बिल अब ख़तरे में है आरिफ़
मज़लूम जेलों में हो और ज़ालिम आसानी से आज़ाद हो जाए


आरिफ़ मोहम्मद इब्राहिम, इलाहाबादी 

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