(मौत़ सारे भरम को तोड़ती)

तेरे सारे ग़ुमान टूट कर मिट्टी के ज़र्रो मे बदल जाऐगें आरिफ़

बस ज़िन्दगी को मौत़ का तु ज़रा आईना दिखा कर देख

✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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