(अपने प्यार की क़दर करो)
बहोत तक़्लीफ़ होती है और दिल भी टूट जाता है
जब कोई अपना होकर भी ग़ैरो जैसा पेश़ आता है
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✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी
जब कोई अपना होकर भी ग़ैरो जैसा पेश़ आता है
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✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी
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