(मोहब्बत़़ के सौद़ागर)

होंटो पे मुस्कुराहट है चाल मे अंदाऐ हर काम है फ़रेबी और अंदाज़े क़ातिलाना

मख़्सूस कर के हमको चाहों वफ़ा मे अपनी अल्फ़ाज़े मोहब्बत़़ को वो बद़नाम कर रहे हैं


         ✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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