[मज़लूम की दर्द भरी आंह]

आंह जो मज़लूम की निकलेगी आंखों में पानी लेकर
तो ज़ालिम पे बर्बादी का मंज़र सरेआम नज़र आएगा

           आरिफ़ मोहम्मद इब्राहिम, इलाहाबादी  

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