(मग़रूरियत ख़त्म फ़ना होने वाली चीज़ है मगर मोहब्बत़ की ख़ुश्बू फ़ज़ाओ मे भी आबाद है हमेशा)

ग़रूर और अना के समंदर मे ग़र्क़ो बर्बाद़ हो गये हजारों बादश़ाह यूहीं

ऐक मोहब्बत़ के समंदर ने ही सारी इनसांनियत को ज़िंदगाने नौ अता कर दी



       ✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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