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कविता जज़्बातों की क़लम से
कल की फिक्र नहीं है जिनको वो हमको धमकातें हैं और आज किया तो कल को भरोगे कर्म यही बतलातें हैं जो दुनिया में आया है प्य…
कल की फिक्र नहीं है जिनको वो हमको धमकातें हैं और आज किया तो कल को भरोगे कर्म यही बतलातें हैं जो दुनिया में आया है प्य…
क़त्ल कर दो हमको अपनी जान भी क़ुर्बान है, हम फ़ख्रे मुसलमां है आख़िर सांस तक चिल्लाएंगे लेलो हमसे मालों ज़र सबकुछ ख़ुशी…
हमारी ख़ामोंशियों को अपना हथियार ना बनाओ ज़ालिम , जो ये बोल पड़ेगा तो तुम्हारे हथियार भी टूट जाएंगे ज़ालिम जब भी ज़ुल्म…
दुख और दर्द की छाँव में वो वक़्त ज़माना था 1947 का जब मेरा प्यारा भारत अंग्रेज़ी हुक्मरानों से आज़ाद होकर एक …
ज़िंदगी भर की मेहनत से ये उम्मीद रही आरिफ़ के ज़िंदगी गुज़ारेंगे बेहतर एक दिन, लेकिन हाए रे मेरी उम्मीद के ना उम्मीद रह…
पहचान मेरी मोहताज नहीं बस नाम ही काफ़ी है अपना' भारत का रहने वाला हूँ पहचान ये काफ़ी है अपना हर मुल्क में अपनी शोहर…