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कविता जज़्बातों की क़लम से

कल की फिक्र नहीं है जिनको वो हमको धमकातें हैं और आज किया तो कल को भरोगे कर्म यही बतलातें हैं जो दुनिया में आया है प्य…

धर्म मज़हब जज़्बात से खेलना सेयासत का हथियार

क़त्ल कर दो हमको अपनी जान भी क़ुर्बान है, हम फ़ख्रे मुसलमां है आख़िर सांस तक चिल्लाएंगे लेलो हमसे मालों ज़र सबकुछ ख़ुशी…

ज़ालिम और मज़लूम

हमारी ख़ामोंशियों को अपना हथियार ना बनाओ ज़ालिम , जो ये बोल पड़ेगा तो तुम्हारे हथियार भी टूट जाएंगे ज़ालिम जब भी ज़ुल्म…

भारत का मुसलमान

दुख और दर्द की छाँव में वो वक़्त ज़माना था 1947 का जब मेरा प्यारा भारत अंग्रेज़ी हुक्मरानों से आज़ाद होकर एक …

बलवान वक़्त गुज़रती यादें

ज़िंदगी भर की मेहनत से ये उम्मीद रही आरिफ़ के ज़िंदगी गुज़ारेंगे बेहतर एक दिन, लेकिन हाए रे मेरी उम्मीद के ना उम्मीद रह…

मेरा नाम ही मेरी पहचान है🇮🇳❤

पहचान मेरी मोहताज नहीं बस नाम ही काफ़ी है अपना' भारत का रहने वाला हूँ पहचान ये काफ़ी है अपना हर मुल्क में अपनी शोहर…

बेज़ुबान दिलों के ज़ख़्म

दिलों के घावों को कोई भी नहीं देखता आरिफ़ चेहरे से तो सभी ख़ुशहाल दिखतें है, समंदर की ख़ामोश़ी भी ऊपर से सबको पता है मग…

हमारे दीन मज़हब की पहचान इन्सानियत मोहब्बत

मत पूछिए हमसे के मेरा दीन कैसा है मेरा ये धर्म मज़हब भी मेरे ईमान जैसा है सदाक़त का सलीक़ा हमसे है सीखा ज़माने ने …

इनसांन और उसकी तकलीफ़ के अस्बाब समझों

किस्से अपना दर्द कहूँ सब चेहरे अनजाने है कौन सुनेगा अपना दुख सबके यही फ़साने है, सोने-चांदी की क़ीमत तो इनसांनों से …

मज़लूम की दर्द भरी आंह

आंह जो मज़लूम की निकलेगी आंखों में पानी लेकर तो ज़ालिम पे बर्बादी का मंज़र सरेआम नज़र आएगा Hindi Urdu Poetry Stories��…

बचपन की यादें

मुझे बचपन के वो गुज़रे ज़माने याद आतें है,वो नन्हें हाथों के ऐक आशियाने याद आतें है पुराने दिन की बातें थी साथी दुलारे …

इस्लाम नायाब है उसकी रौश़नी कभी ना ख़त्म होने वाली है

पुरनूरे असरार हूँ मै जलता रहूंगा अपनो की रगों में आरिफ़ यूंही चलता रहूंगा, हमें ना मिटाने की कोशिश़ करो तुम मैं हीरा…

मिट्टी के जिस्म में आग के श़ोले

श़बनंम के हर एक क़तरे पर फ़ूलों को मचलते देखा है आग़ोशे समंदर में हमनें दरिया को सिमटते देखा है हैरत है यहां इनसांन ब…

माँ की ममता

माँ की हिम्मत में क़यामत की अदा देखी है हर एक मुश़्किल से टकराने की अदा देखी है गर सामने मौत़ भी तो परवाह नहीं उसको …