(अपनो की मोहब्बत़ और प्रदेश की ज़िंदगी)
नफ़रतों को मोहब्बत़ से बदला जा सकता है हर दिलों मे रहती दुनिया तक
ना,तू ,तू ,ना ,मै ,मै , बश़र्ते ये है के पहले शुरूआत हमारी तरफ़ से हो
ख़ोदा के हर क़रम का एहसानमंद हूँ मै दोनों जहाँन मे
हमारे लिए रब ने जन्नत जैसी अनमोंल शैय को माँ के क़दमों डाल दी
मै शुक्र ग़ुज़ार हूँ उन अपनो का जिन्होंने मुसीबतों मे मेरा साथ छोड़ा
और ऐहसान मंद हूँ मै उनका जिन्होंने मुसीबतों मे मेरा साथ दिया
अपने रब के अलावा ज़िंदगी मे उम्मीद नही है किसी से और ना रहेगी
जो दिया उसकी इनायत़ है और जो नही है वो उसकी मर्ज़ी और मसलेहत़
निकल पड़ता हूँ प्रदेश कमाने के लिए घर के माली देख कर
नही तो कोई श़ौक़ नही अपनो को छोड़ कर प्रदेश मे ज़िंदगी बिताने का
घर मे माँ का प्यार अपनो का दुलार और सब की याद कभी कभी बहोत सताती है
लेकिन ज़िम्मेदारिंया निभाना भी बहोत ज़रूरी है ज़िंदगी मे सबको ख़ुश रखने के लिए
अपनो की ख़ुशी देखकर ख़ुश हो जाता हूँ मै अपनी ज़िंदगी की अहमियत़ को जान कर
इसीलिए ये ज़िंदगी के क़ीमती पल अपनो के लिऐ क़ुर्बान है आरिफ़ जिन्होंने इस ज़िंदगी को अहमियत़ बख़्शी
✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी
ना,तू ,तू ,ना ,मै ,मै , बश़र्ते ये है के पहले शुरूआत हमारी तरफ़ से हो
ख़ोदा के हर क़रम का एहसानमंद हूँ मै दोनों जहाँन मे
हमारे लिए रब ने जन्नत जैसी अनमोंल शैय को माँ के क़दमों डाल दी
मै शुक्र ग़ुज़ार हूँ उन अपनो का जिन्होंने मुसीबतों मे मेरा साथ छोड़ा
और ऐहसान मंद हूँ मै उनका जिन्होंने मुसीबतों मे मेरा साथ दिया
अपने रब के अलावा ज़िंदगी मे उम्मीद नही है किसी से और ना रहेगी
जो दिया उसकी इनायत़ है और जो नही है वो उसकी मर्ज़ी और मसलेहत़
निकल पड़ता हूँ प्रदेश कमाने के लिए घर के माली देख कर
नही तो कोई श़ौक़ नही अपनो को छोड़ कर प्रदेश मे ज़िंदगी बिताने का
घर मे माँ का प्यार अपनो का दुलार और सब की याद कभी कभी बहोत सताती है
लेकिन ज़िम्मेदारिंया निभाना भी बहोत ज़रूरी है ज़िंदगी मे सबको ख़ुश रखने के लिए
अपनो की ख़ुशी देखकर ख़ुश हो जाता हूँ मै अपनी ज़िंदगी की अहमियत़ को जान कर
इसीलिए ये ज़िंदगी के क़ीमती पल अपनो के लिऐ क़ुर्बान है आरिफ़ जिन्होंने इस ज़िंदगी को अहमियत़ बख़्शी
✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी
Comments