(मेयांरे अद़ब)

अपनी बात को कहो किसे से भी मगर इज़हारे अद़ब  से आरिफ़

अच्छे लोग अल्फा़ज़ नही इज़हारे जज़्बात को समझते है

✍मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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