(वत़न हमसब का हमसब वत़न के है)

ना ख़ौफ़े हुक़ूमत है मुझको और ना अंजाम की कोई परवाह़

जीने की आज़ादी है सबको यहां कहता है मेरा आईने हिंदोस्तां



                  ✒मोहम्मद आरिफ़ इलाहाबादी

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